क्या पानी मिलेगा ? by Xavier Hamsay

क्या पानी मिलेगा ?

क्या पानी मिलेगा, यह सवाल है सिन्दूरीबेड़ा गांव वासियों का, जहाँ पानी की कमी ने इनकी आम जिंदगी को बड़े रूप से अस्तव्यस्त किया है । पष्चिमी सिंहभूम जिला के प्रखण्ड कार्यलय बन्दगाँव से लगभग 20-22 कि.मी. दूर जंगल के बीच बसा है सिन्दूरीबेड़ा गाँव। इसका एक टोला है गैर टोला। गैर टोला में सात परिवार रहते हैं और इनका कहना है कि इनके पुर्वज यहाँ लगभग 200 सालों से रहते आ रहे हैं। कुछ वर्षों पूर्व वहाँ उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं थी। परन्तु विगत 6-7 सालों से इस गाँव के लोगों को पानी की किल्लत जैसे गंभीर समस्यों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर गर्मी के दिनों में काफी तकलीफ होती है। और पानी के कमी के कारण गाँव के सभी लोगों को कपड़ा साफ करने के लिए 10 कि.मी. दूर तक दूसरे गाँव में जाना पड़ता है।

श्रीमती रुपाली गुड़िया बताती हैं- महुआ (महुआ का फूल), गैर टोला के एक-एक परिवार के लिए आय का स्रोत है। सीजन में एक-एक परिवार महुआ से 25 से 30 हजार रुपया तक कमाता है। लेकिन पिछले साल कोई भी परिवार महुआ नहीं चुन पाया। इसका कारण था पानी की कमी। लोग महुआ 12-1 बजे तक चुनते हैं, तब तक लोग पसीने से भीग जाते हैं। तब हर किसी को नहाने का मन जरुर करेगा लेकिन पानी कहाँ? जहाँ वो नहा पाये।

बच्चे पानी के कमी के कारण स्कूल तक जाना छोड़ देते है। गाँव के लोगों को लगभग तीन माह तक काला पानी की सजा से कम नहीं लगता। उसी तरह एक साल 2 माह तक पानी की किल्लत के कारण सारे गाँव के लोग प्लेट व थाली में न खाकर पत्तल (पत्ती का प्लेट) में खाना खाया।

गाँव के लोगों ने कई बार कुआँ के लिए प्रखण्ड कार्यलय को आवेदन लिखा, इतना तक की सहिया (स्वस्थ्य कर्मी) के माध्यम से भी प्रखण्ड को रिर्पोट किया गया लेकिन आज तक किसी ने उनकी समस्य नहीं सुनी। भारत का कानून जीने के अधिकार के अंतर्गत एक नागरिक का ‘पीने योग्य’ पानी का अधिकार भी मान्यता देता है। पर क्या कोई है जो इनकी समस्य सुन सकता है?

When: October 2017

Where: West Shinghbhum, Jharkhand

Story by: Xavier Hamsay